sakaratmak vichar (sakaratmak vichar in hindi) sakaratmak vichar positive soch positive vichar
☞ ऊपर उठने की आदत डालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।
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☞ प्रोत्साहित करने की आदत डालो क्योंकि
हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!
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☞ सच्चा व्यक्ति ना तो नास्तिक होता है
ना ही आस्तिक होता है,
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है।
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☞ छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।
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☞ कभी पीठ पीछे आपकी बात चले
तो घबराना मत क्योंकि
बात तो उन्हीं की होती है, जिनमें कोई बात होती है।
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☞ निंदा उसी की होती है जो जिंदा है,
मरने के बाद तो सिर्फ तारीफ होती है।
हमेशा सकारात्मक सोच रखे और आगे बढ़े।
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*ऐश्वर्यमल्पमेत्य प्रायेण हि दुर्जनो भवति मानी।*
*सुमहत्प्राप्यैश्वर्यं प्रथमं प्रतिपद्यते सुजनः।।*
दुर्जन, थोड़ा सा भी ऐश्वर्य पा कर प्रायः बहुत ही गर्वीले और चञ्चल (अधीर) हो जाते हैं, परन्तु सज्जन बहुत अधिक ऐश्वर्यवान हो कर भी शान्त और मृदुल स्वभाव के ही बने रहते हैं।
(तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है :
*छुद्र नदी भरि चली तोराई।*
*जस थोरहु धन खल इतराई।।*)
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A wicked person having acquired even a bit of prosperity and power becomes very capricious and proud, whereas a noble person even after acquiring abundant power and prosperity still remains very calm and quiet.
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*अपना अपना ध्यान रखें,*
*एक नियम का मान रखें,*
*व्यर्थ नहीं बाहर विचरें,*
*भीड़ भाड़ से दूर रहें।*
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*किसी ने बिल्कुल सही कहा है समय और हालात कभी भी कहीं भी बदल सकते है*
*अब देखिये कल तक "निकटता" प्रेम का प्रतीक थी और आज " दूरियाँ "प्यार और परवाह की परिचायक है.*
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*असतां सङ्गदोषेण साधवो यान्ति विक्रियाम्।*
*दुर्योधन प्रसङ्गेन भीष्मो गोहरणे गतः॥*
झूठे और नीच व्यक्तियों के संपर्क में रहने से सज्जन और महान व्यक्तियों की गरिमा और प्रतिष्ठा को भी बहुत अधिक हानि पहुंचती है।
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By keeping the company of untrue and evil minded persons, the fame and status of even the most honourable and righteous persons is put to harm.
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कुसंगति से बचें।
*मिलो नहीं अनजानों से,*
*कम मिलना पहचानों से,*
*यही अभी बस एक उपाय,*
*अपना जीवन स्वस्थ बनाय*
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*प्रेम हरि को रुप है, त्यौं हरि प्रेमस्वरुप।*
*एक होई है यों लसै, ज्यों सूरज औ धूप।*
प्रेम को हरि अर्थात परम तत्व के समान बताते हुए रसखान ने प्रेम एवं परम को एक दूजे का रूप कहा है। प्रेम और परम ऐसे सम्बद्ध हैं जैसे सूरज एवं धूप।
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Love is God and God is Love. Both are so close as Sun and sunlight.
*सब पर मन में प्रेम रखें,*
*दूरभाष से सब बात करें,*
*चित्र नाद निज रूप भरें,*
*किन्तु न बाहर पैर धरें।*
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*अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णा हि दन्शितः।*
*नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखी भव।।*
अष्टावक्र गीता : अध्याय १, श्लोक ८।
*मैं कर्ता हूँ* इस अहं रूपी सर्प के दंश से हम सभी पीड़ित हैं अतः *मैं कर्ता नहीं हूँ* इस अमृत का पान करें एवम् सुखी हो जाएँ।
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*I am the doer*, we all have been suffering from this ego, so take the nectar of *I am not the doer* and be happy.
*मुझे नहीं होगा कोरोना,*
*इसी अहम का मन में होना,*
*घातक है यह इसको छोड़ें,*
*घर की सीमा अभी न तोड़ें।*
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*न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
*अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
आत्मा (आत्मतत्व) किसी काल में भी न तो जन्म लेता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥
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For the SOUL there is never birth nor death. Nor, having once been, does he ever cease to be. He is unborn, eternal, ever-existing, undying and primeval. He is not slain when the body is slain.
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*अगला चरण युद्ध का आया*
*विजित क्षेत्र को हरा बताया*
*विजय मार्ग स्पष्ट हुआ है*
*घर में रहना ही अच्छा है*
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🌹 💐💐👏👏
विचारों को वश में रखिये
"वो तुम्हारें शब्द बनेंगे"
शब्दों को वश में रखिये
"वो तुम्हारें कर्म बनेंगे"
कर्मों को वश में रखिये
"वो तुम्हारी आदत बनेंगे"
आदतों को वश में रखिये
"वो तुम्हारा चरित्र बनेगा"
चरित्र को वश में रखिये
"वो तुम्हारा भाग्य बनेंगे"
🙏🏻 sakaratmak vichar
*🙏🏻🙏🏻. sakaratmak vichar 🙏🏻🙏🏻*
*पीपल के पत्तों जैसा मत*
*बनो*
*जो वक्त आने पर*
*सूख कर गिर जाते है*
*बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा*
*बनो*
*जो पिस कर भी*
*दूसरों की जिंदगी में*
*रँग भर देते हैं ।*
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*भरोसा उस पर करो*
*जो आपके अंदर की तीन*
*बातें जान सके...*
*मुस्कुराहट के पीछे दुःख,*
*गुस्से के पीछे प्यार,*
*चुप रहने के पीछे वजह ।*
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भारत के नौजवानों !...
भारत के नौजवानों !
भारत को दिव्य बनाना |
तुम्हें प्यार करे जग सारा.,
तुम ऐसा बन दिखलाना || भारत
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केवल इच्छा न बढ़ाना,
संयम जीवन में लाना |
सादा जीवन तुम जीना,
पर ताने रहना सीना || भारत के..
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जो लिखा है सद्ग्रन्थों में,
जो कुछ भी कहा संतों ने |
उसको जीवन में लाना,
वैसा ही बन दिखलाना ||भारत...
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सारे जहाँ से अच्छा,
हिन्दोस्ताँ हमारा | - 2
हम बुलबुले हैं इसके,
ये गुलसिताँ हमारा || भारत के.
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तुम पुरुषार्थ तो करना,
पर नेक राह पर चलना |
सज्जन का संग ही करना,
दुर्जन से बच के रहना || भारत.
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जीवन अनमोल मिला है,
तुम मौके को मत खोना |
यदि भटक गये इस जग में,
जन्मों तक पड़ेगा रोना ||
भारत के नौजवानों !भारत को दिव्य बनाना...
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*जिंदगी के मायने दूसरो से*
*मत सीखिए....*
*जिंदगी आपकी है, मायने*
*भी आप तय करें....!!*
🙏🙏🙏🙏🙏
अपने ऊपर किसी भी चीज के डर को हावी ना होने दें, हम उतने ही मजबूत होते हैं जितना खुद को समझते हैं, खुद में और अपने सपनों की ताकत में यकीन करें!
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* असफल रहने के बावजूद, तब तक प्रयास जारी रखें, जब तक सही नतीजे नहीं मिल जाते!
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* ऐसे कार्यों को ना कहने की आदत डालें, जो देखने में तो जरूरी लगते हैं परंतु आपकी " लॉन्ग टाइम प्लानिंग" को पूरा करने में अड़चन डालते हो! यदि आप ऐसे कार्यों में अपनी उर्जा लगाते हैं तो अपने जीवन के अधिक महत्वपूर्ण कार्य पूरे करने का समय नहीं मिलेगा!
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* बीती बातों में उलझे रहने की बजाय वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें क्योंकि हम भूतकाल को बदल नहीं सकते हैं लेकिन उसके बारे में चिंता करके वर्तमान को खराब जरूर कर लेंगे और यदि वर्तमान खराब हुआ तो भविष्य खराब हो ही जाएगा!
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* नकारात्मक सोच रखने वालों की संगत से अपने आप को दूर रखें!
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**एक वो पीढ़ी थी, जो "इकट्ठा रहने" के लिये जीती थी।*
*हमारी नीयत से ईश्वर प्रसन्न होते हैं, और*
*दिखावे से इंसान !*
*यह हम पर निर्भर करता है कि*
*हम किसे प्रसन्न करना चाहते है*
🌹 sakaratmak vichar🌹
जीवन की बहुत सारी समस्याओं का केवल एक हल है और वो है माफी - कर दो या माँग लो!
🌹 sakaratmak vichar🌹
किसी को उसकी गलती के लिए माफ कर देना भी एक साहसिक एवं दैवीय गुण है।हमारे जीवन की बहुत सारी समस्याएं वहाँ से उत्पन्न होती हैं, जब हमारे भीतर यह अहम का भाव आ जाता है कि मैं उसे माफ क्यों करूँ
🌹 sakaratmak vichar🌹
हमारी यही अहमता फिर प्रतिद्वंदिता और प्रतिशोध का कारण बनकर रह जाती है।
🌹 sakaratmak vichar🌹
एक और बात किसी महापुरुष ने कहा कि माफ करना तो सरल है लेकिन माफी माँगना सरल नहीं है। हमें माफ करना आता है ये अच्छी बात है मगर हमें माफी माँगना भी आना चाहिए ये उससे भी अच्छी बात है।
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पारिवारिक जीवन में , मैत्री जीवन में या सामाजिक जीवन में संबंधों को मजबूत और मधुर बनाने हेतु किसी भी व्यक्ति के अंदर इन दोनों गुणों में से एक गुण की प्रमुखता अवश्य होनी ही चाहिए।
🌹 sakaratmak vichar🌹
महाभारत की नींव ही इस सूत्र के आधार पर पड़ी कि किसी के द्वारा माफ नहीं किया गया तो किसी के द्वारा माफी नहीं मांगी गई।
🌹 sakaratmak vichar🌹
हमारा जीवन एक नयें महाभारत से बचकर आनंद में व्यतीत हो इसके लिए आज बस एक ही सूत्र काफी है और वो है माफी - कर दो या माँग लो!