गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
गौतम बुद्ध की जीवनी हिंदी में gautam buddha ki jivan katha
गौतम बुद्ध
बौद्ध धर्म के संस्थापक
गौतम बुद्ध का परिचय
1.दुनिया को अपने विचार से नई रास्ता दिखाने वाले भगवान गौतम बुद्ध भारतवर्ष के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु,
2. एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे.
3.बुद्ध की शादी यशोधरा के साथ हुई थी.
4.इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था जिसका नाम राहुल रखा था लेकिन विवाह के कुछ समय बाद गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी और बच्चे को त्याग दिया.
5. वे संसार को जन्म, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश व सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात के समय अपने राजमहल से जंगल की ओर चले गये थे. बहुत सालों की कठोर साधना के बाद बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और
6.वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गये.
गौतम बुद्ध का जन्म स्थान
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व के समय कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नेपाल में हुआ था.
गौतम बुद्ध की रोचक बाते
कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई जिसमे एक बालक का जन्म हुआ था. गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाये.
इनके पिता शुदोधन एक राजा थे इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी लेकिन बालक के जन्म देने के बाद 7 दिन के अंदर माया देवी की मृत्यु हो गयी थी.
जिसके बाद इनका लालन-पालन इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की और इस बालक का नाम सिद्धार्थ रख दिया गया. इस नाम का मतलब होता हैं जो सिद्धि प्राप्ति के लिये जन्मा हो लेकिन इनको बाद में सिद्धि मिली थी.
सिद्धार्थ बचपन से बहुत की दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे. सिद्धार्थ बचपन में जब खेल खेलते थे तब वे स्वंय हार जाते थे क्योंकि वें दूसरों को दुःख नहीं देना चाहते थे. सिद्धार्थ का एक चचेरा भाई भी हैं जिसका नाम हैं देवदत्त हैं. एक बार देवदत्त ने अपने धनुष से एक बाण चलाया था जिससे एक पक्षी हंस घायल हो गया था और बाद में सिद्धार्थ ने उस घायल हंस की रक्षा की थी.
गौतम बुद्ध की शिक्षा
सिद्धार्थ ने अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र से पूरी की. उन्होंने वेद और उपनिषद के साथ-साथ युद्ध विद्या की भी शिक्षा प्राप्त की. सिद्धार्थ को बचपन से घुड़सवारी, धनुष – बाण और रथ हांकने वाला एक सारथी में कोई दूसरा मुकाबला नहीं कर सकता था.
गौतम बुद्ध की शादी
सिद्धार्थ की शादी मात्र 16 साल की आयु में राजकुमारी यशोधरा के साथ हुई थीं और इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था, जिसका नाम राहुल रखा था लेकिन उनका मन घर और मोह माया की दुनिया में नहीं लगा और वे घर परिवार को त्याग कर जंगल में चले गये थे.
गौतम बुद्ध की तपस्या
पिता और राजा शुद्दोधन ने सिद्धार्थ के लिये भोग-विलास का भरपूर इंतजाम भी किया था. पिता ने अपने बेटे के लिए 3 ऋतु के हिसाब से 3 महल भी बनाये थें जिसमे नाच-गान औए ऐसो आराम की सारी व्यवस्था मौजूद थी लेकिन ये चीजें सिद्धार्थ को अपनी ओर नहीं खींच सकी. सिद्धार्थ ने अपनी सुंदर पत्नी और सुंदर बालक को छोड़कर वन की ओर चले जाने का निश्चय किया. सिद्धार्थ ने वन जाकर कठोर से भी कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया. पहले तो सिद्धार्थ ने शुरू में तिल चावल खाकर तपस्या शुरू की लेकिन बाद में तो बिना खान-पान के तपस्या करना शुरू कर दिया. कठोर ताप करने के कारण उनका शरीर सुख गया था तप करते-करते 6 साल हो गये थे. एक दिन सिद्धार्थ वन में तपस्या कर रहे थें कि अचानक कुछ महिलाये किसी नगर से लौट रही थीं वही रास्ते में सिद्धार्थ तप कर रहे थें. महिलाएं कुछ गीत गा रही थीं उनका एक गीत सिद्धार्थ के कानों में पड़ा था गीत था ” वीणा के तारों को ढीला मत छोड़ दों ” तारों को इतना छोडो भी मत कि वें टूट जायें सिद्धार्थ को कानों में पड़ गयी और वे यह जान गये की नियमित आहार-विहार से योग सिद्ध होता हैं, अति किसी बात की अच्छी नहीं. किसी भी प्राप्ति के लिये माध्यम मार्ग ही ठीक होता हैं, इसके लिये कठोर तपस्या करनी पड़ती हैं.
गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्तती
वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ वटवृक्ष के नीचे ध्यानपूर्वक अपने ध्यान में बैठे थे. गाँव की एक महिला नाम सुजाता का एक पुत्र हुआ था, उस महिला ने अपने पुत्र के लिये उस वटवृक्ष से एक मन्नत मांगी थीं जो मन्नत उसने मांगी थी वो उसे मिल गयी थी और इसी ख़ुशी को पूरा करने के लिये वह महिला एक सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर उस वटवृक्ष के पास पहुंची थीं. गौतम बुद्ध Lord Gautama Buddha उस महिला ने बड़े आराम से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई उसी तरह आपकी भी हो. उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की एक साधना सफल हो गयी थीं, उसे सच्चा बोध हुआ तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए. जिसे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला था वह वृक्ष बोधिवृक्ष कहलाया और गया का सीमावर्ती जगह बोधगया कहलाया.
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